Monday, March 12, 2012

नज़्म - तस्वीर अधूरी है अभी


मिलन की ओश से निखरा ये गुलाबी चेहरा
आखिरी लम्हों की कुछ भर दो सफेदी इनमे
रीत ही जाएगा आखिर ये छलकता अमृत
सुर्ख होठों पे अभी से जरा सी प्यास धरो
बाल बिखरा तो दिए है ये बहुत खूब किया
इनमे अब भटके हिरन सी जरा उलझन डालो
इसकी आँखों में ये जो ख्वाब सजा रखा है
अभी ये ख्वाब चमकते हैं सुनहले है बहुत
सुनहरे ख्वाब की पलकों पे सजा दो काजल
और काजल सने कोरों पे दो आसूं रख दो

अभी कुछ प्यार की बारीकियां भरो इनमे
मेरे जीवन की ये तस्वीर अधूरी है अभी




........................................................अरुन श्री

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