माना रात है
कोई दिया नही
ठोकरें भी है ,
लेकिन जानता हूँ मैं
उम्मीद का हाँथ
तुम नही छोड़ोगे !
नही करोगे निराशा की बातें !
चलते रहोगे मेरे साथ
स्वप्न पथ पर !
अ-थके
अ-रुके
अ-रोके !
तब तक –
-जब तक सुनहली किरने
चूम न लें
मेरे-तुम्हारे सपनो का ललाट !
-जब तक सूर्य गा न ले
मेरे तुम्हारे सम्मान में
विजय गीत !
-जब तक पीला न पड़ जाए
अँधेरे का चाँद चेहरा !
-जब तक कह न उठे
रात की पनीली आँखें
“जाओ पथिक
तुम्हारे पाँव से रीसता खून
चमकता रहेगा युगों तक
मेरे तारों भरी चुनरी पर
दीप बनकर !”
……………………….. अरुन श्री !
No comments:
Post a Comment