!! प्यार से उद्धार तक !!
Monday, March 12, 2012
सार्थक या अर्थहीन ?
नदी
धरती की छाती से निकली
दूध की धारा !
जीवन बाटती है !
लेकिन दूर नही कर पाती
सागर का खारापन !
कुछ ही पलों में
अर्थहीन हो जाती है
एक लंबी और सार्थक यात्रा !
.......................... अरुन श्री !
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