Saturday, October 1, 2011

अम्मा

जब भी रोते - रोते हंस दी
मुझको बहुत सुहाई अम्मा

जेब में वापस रख देती है
लेती नही कमाई  अम्मा

"तुम ही ह़ो धन दौलत मेरे"
कहकर बस मुस्काई अम्मा

बचपन में जब भी रोया मैं
खुद बन गई मिठाई अम्मा

ममता की डोरी से मुझको
देना  नही रिहाई  अम्मा

जब भी  उससे रूठ गया मै
रो-रो कर अधियाई अम्मा

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