Monday, May 7, 2012

पुरानी किताब


काश
कि उसी वक्त देख लेता
पलट कर पन्ने
उस किताब के ,
जो तुमने वापस कर दी
भीगी आँखों के साथ !
और मैंने उसे इंकार समझा
अपने प्रणय निवेदन का !
.
और आज
जब हम दोनों ने थाम रखे है
दो अलग अलग सिरे
जिंदगी के !
तो अनायास ही
हाथों में आई वो किताब !
थरथरा गया अस्तित्व !
जैसे कोई रेल गुज़री हो
किसी पुराने पुल से !
बिखर गए किताब के पन्ने !
और पन्नों के बीच
एक सुख चुका गुलाब
जो मैंने नही रखा था !
.
काश
कि उसी वक्त देख लेता
पलट कर पन्ने
उस किताब के !



.................................... अरुन श्री !

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